नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति को कथित तौर पर न्यूयॉर्क में अरबी लागू करने के बारे में बोलते हुए देखा और सुना जा सकता है। वीडियो को शेयर करते हुए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि अमेरिका के न्यूयॉर्क में मुस्लिम मेयर के बनते ही वहां रह रहे मुस्लिम अरबी भाषा को न्यूयॉर्क की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में सामने आया कि जोहरान ममदानी के मेयर बनने से जोड़कर अरबी को न्यूयॉर्क की आधिकारिक भाषा बनाने का जो दावा फैलाया जा रहा है, वह पूरी तरह फर्जी है। वायरल वीडियो वास्तविक नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से तैयार किया गया है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक पेज ‘शिक्षा की शक्ति’ ने 10 नवंबर को वायरल पोस्ट को शेयर किया जिस पर लिखा था, “न्यूयॉर्क में मुस्लिम मेयर बनते ही..”हमें अंग्रेजी नहीं चाहिए। अब न्यूयॉर्क मिडिल ईस्ट का है। यहां अरबी बोली जाएगी।” वहीं, यूजर ने कैप्शन में लिखा है, “$&% कट्टरपंथ की यही मानसिकता पूरे विश्व के लिए खतरा है। जहाँ इनकी जनसंख्या 10%के नीचे है वहाँ ये शांतिप्रिय हैं, जहाँ 10% से ऊपर हुए, वहाँ मजहब के नाम पर वर्चस्व की बात करते हैं, ये $&% सभ्य सभ्यता के लिए शर्मनाक धब्बा हैं। पर इन मजाहबियों को शर्म है ही कहाँ..?”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने वीडियो को गौर से देखा। वीडियो में नजर आ रहे व्यक्ति के हावभाव हमें रोबोटिक दिखे। वहीं, पीछे दिखाई दे रहे बैनर पर अरबी में कुछ लिखा हुआ नजर आया, जिसकी स्पेलिंग गलत दिखी। इस बुनियाद पर हमें इस वीडियो के एआई से बने होने की आशंका हुई ।

इसी बुनियाद पर अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने वीडियो के की- फ्रेम को निकाला और एआई तस्वीरों की जांच करने वाले टूल साइट इंजन पर वीडियो के फ्रेम को अपलोड किया। यहां मिले नतीजे के अनुसार, यह फ्रेम 99 फ़ीसदी एआई निर्मित है।

एआई तस्वीरों की जांच करने वाले एक दूसरे टूल वाज इट एआई पर भी हमने इस वीडियो के फ्रेम को अपलोड किया। यहां भी इसे एआई द्वारा बनाये जाने की संभावना जताई गई।

बता दें, जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क सिटी के नए मेयर चुने गए हैं। उनकी इस जीत की चर्चा सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई दूसरे हिस्सों में हो रही है।
वायरल वीडियो से जुड़ी पुष्टि के लिए हमने एआई एक्सपर्ट अजहर माचवे से संपर्क किया। उन्होने हमें बताया कि यह वीडियो साफ तौर पर एआई निर्मित है। इसमें पीछे नजर आ रहे लोगों के चेहरे बिगड़े हुए दिख रहे हैं। वहीं, बैनर पर कोई भी अक्षर सही नजर नहीं आ रहा है।
अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘शिक्षा की शक्ति’ की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि इस पेज को साढ़े पांच हजार के करीब लोग फॉलो करते हैं। वहीं, इस प्रोफाइल पर विचारधारा विशेष से प्रेरित पोस्ट शेयर की जाती है।
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